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चमके छवि के केतन / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
भागता
चला गया
भयंकर
भीमकाय
अँधेरा
रात पर डाले जा रहा था जो डेरा
खुलती
चली गई
रंगीन
अक्षितिज
हर्षित दिखी
धैर्य की धरती
नाम और रूप से परिचित
प्रकाशित सुबह
चेतन
चमके छवि के चेतन।
रचनाकाल: १२-११-१९७०, रात १० बजे