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चर्च के चौकीदार जार्ज ने अन्ततः छोड़ दिया काम / अशोक कुमार पाण्डेय / मार्टिन एस्पादा
Kavita Kosh से
कोई नहीं पूछता
कि कहाँ से हूँ मै
निश्चित तौर पर चौकीदारों के देश से ही होऊॅंगा मैं
हमेशा से पोछा लगाया है मैंने इस फर्श पर
उनकी समझ के शहर के बाहर
तुम अवैघ अप्रवासियों का कैम्प भर हो, होंडुरास
कोई नहीं ले सकता मेरा नाम
मैं स्नानागार के उत्सवों का मेजबान हूँ
शौचालय को रखता हूँ सरगर्म शराब की प्याली की तरह
नष्ट हो जाता है मेरे नाम का स्पेनिश संगीत
जब मेहमान शिकायत करते हैं
टायलेट पेपर्स के बारे में
सच ही होगा
जो वे कहते है
चपल हूँ मैं
पर व्यवहार बुरा है मेरा
कोई नहीं जानता
कि मैं छोड़ रहा हूँ आज रात यह काम
हो सकता है कि पोछा
एक मदमस्त समुद्री फेन की तरह
खुद ही चल पड़े
अपने धूसर रेशेदार जालों से
साफ करता हुआ फर्श
फिर लोग इसे ही कहेंगे जार्ज