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चलत पिरान कैसे रोयऊं पिरिया / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
चलत पिरान कैसे रोयऊं पिरिया
तुमका न रोयहूं पिरभु अपने को रोयऊं
के मोरी पार लगाई है उमरिया
देवरा जेठा के लरिका खिलायेउ
उन्हूं में दिन बिसरायेऊ पिरिया
देवरा जेठा कोउ काम न अइहैं
हम हूं को चनना लगायेऊ पिरिया