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चलने का अर्थ / सांवर दइया

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सुनो यार !
जरा ठहरें
ऐसी भी क्या जिद चलने की
चलने वालों को
जरा रुकना भी चाहिए
थोड़ा सुस्ताना भी चाहिए

तपती रेत की छाती पर पांव रख
यह समंदर पार करते-करते
तांबिया चुकी है देह

रास्ते में आया है जो पेड़
पेड़ के पास कुटिया
कुटिया में बुढ़िया
बुढ़िया के पास मटका
मटके में पानी
इनका कोई तो अर्थ होगा
(नहीं है क्या ज्ञानी ?)

आओ,
इस पेड़ की छांव तले ठहरें
कुटिया में सुस्ताएं
बुढ़िया के पास बैठे
थोड़ाबतियाएं
मटके का ठंडा पानी पिएं
ऐसे कुछ ताजा हो लें
और फिर आगे चले

कुछ रुक-सुसता कर चलना ही तो
चलने का अर्थ है !