चली गई माल दुलारी तजी न थारी / निमाड़ी
- अंगिका लोकगीत
- अवधी लोकगीत
- कन्नौजी लोकगीत
- कश्मीरी लोकगीत
- कोरकू लोकगीत
- कुमाँऊनी लोकगीत
- खड़ी बोली लोकगीत
- गढ़वाली लोकगीत
- गुजराती लोकगीत
- गोंड लोकगीत
- छत्तीसगढ़ी लोकगीत
- निमाड़ी लोकगीत
- पंजाबी लोकगीत
- पँवारी लोकगीत
- बघेली लोकगीत
- बाँगरू लोकगीत
- बांग्ला लोकगीत
- बुन्देली लोकगीत
- बैगा लोकगीत
- ब्रजभाषा लोकगीत
- भदावरी लोकगीत
- भील लोकगीत
- भोजपुरी लोकगीत
- मगही लोकगीत
- मराठी लोकगीत
- माड़िया लोकगीत
- मालवी लोकगीत
- मैथिली लोकगीत
- राजस्थानी लोकगीत
- संथाली लोकगीत
- संस्कृत लोकगीत
- हरियाणवी लोकगीत
- हिन्दी लोकगीत
- हिमाचली लोकगीत
चली गई माल दुलारी तजी न थारी
सोयो पाव पसारी तजी न थारी
(१) जिसकी जान थारा पास नही रे,
सोना क दियो रे गमाई(हो रामा)
भरम भंभू का उठण लाग्या
नोटीश प नोटीश जारी...
तजी न थारी...
(२) बृम्ह कचेरी म बृम्ह का वासा,
गीत का मुजरा लेई(हो रामा)
नव नाड़ी और बावन कोठड़ी
अंत बिराणी होय...
तजी न थारी...
(३) जब हो दिवानी ने दफ्तर खोला,
नही शरीर नही श्वास(हो रामा)
माता छटी ने डोर रचीयो है
रती फरक नही आव...
तजी न थारी...
(४) हिम्मत का हाल टुटी गया रे,
रयि हमेशा रोई
सतगुरु राखा अभी ले जाजो
नही तो चैरासी का माही...
तजी न थारी...
(५) कहत कबीर सुणो भाई साधो,
यो पद है निरबाणी(हो रामा)
यही रे पंथ की करो खोजना
रही जासे नाम निसाणी...
तजी न थारी...