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चलें काली आँधियाँ चलते चलो / सुधेश
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चलें काली आँधियाँ चलते चलो
वक़्त लेगा इम्तहां चलते चलो।
अगर दिल की आग यों जलती रहे
कुल जहाँ हो कहकशां चलते चलो।
अगर यों ही रहे आवारा क़दम
मिल ही जाएगा मकाँ चलते चलो।
अगर ऊँची चाह की परवाज़ हो
सारी दुनिया गुलिस्ताँ चलते चलो।
अगर शिकवा शामिलेआदत हुआ
बदगुमां होगी ज़बां चलते चलो।
जहाँ कोई सुनने वाला ही न हो
दर्द रहने दो निहां चलते चलो।
ख़ल्क़ से हो मुहब्बत क्या बात है
इश्क़े बुतां चलते चलो।
अगर दिल में प्यार की हो रोशनी
चश्म कर देंगे बयां चलते चलो।
प्यार के दो चार अक्षर सीख लो
आँख बन जाए ज़बां चलते चलो।