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चले हम उम्र भर लेकिन अभी भी दूर मंज़िल है / रंजना वर्मा
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चले हम उम्र भर लेकिन अभी भी दूर मंजिल है।
कहीं मिलती है तनहाई कहीं पुरजोर महफ़िल है॥
बही जाती लहर के साथ कश्ती डोलती अपनी
दिखायी दे रहा फिर भी बहुत ही दूर साहिल है॥
बिना कुछ भी कहे तुमने हमें है दूर कर डाला
नहीं क्या दिल हमारा ये तुम्हारे दिल के काबिल है॥
नयन आकाश में उगते हजारों इंद्र धनु फिर भी
उन्हें साकार कर पाना सभी के हेतु मुश्किल है॥
कहे चाहे कोई कुछ भी मगर यह सत्य है साथी
विधाता ने वहीं रक्खा जहाँ पर चाहिए दिल है॥