भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चलो / आलोक कुमार मिश्रा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चलो चान्द पर करें चढ़ाई
बैठ वहाँ पर करें पढ़ाई
सूरज पर भी धावा बोलें
गर्मी उसकी जरा टटोलें

फिर बादल पर झूला झूलें
कूद-कूद कर तारे छू लें
चलें हवा संग दूर देश में
घूमें जब तक रहें जोश में

जब थक जाएँ घर को आएँ
खा-पीकर बिस्तर पर जाएँ ।