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चल री मुनिया / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
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फुलकी और फुलकी का पानी,
मुझको अच्छा लगता नानी|
पर बेटी भीतर तो देखो,
फुलकी बासी गंदा पानी|
नहीं खाओगी गंदी फुलकी,
नहीं पियोगी गंदा पानी|
चल री मुनिया भीतर तो चल,
तुझे सुनाऊँ एक कहानी।