भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चाँद के आँसू / अनिता ललित

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बारहा चाँद से हमने की बातें,
कभी मुस्काए कभी रोए संग,
हमें तो आ गया...
आँसुओं को पीने का हुनर ,
चाँद के चेहरे से मगर...
आँसुओं के निशान पोछूँ कैसे?