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चाँद मियां / मेराज रज़ा
Kavita Kosh से
बैठे हो कि खड़े हो,
या खाट पर पड़े हो!
झूल रहे झूला या
कहीं लटके पड़े हो!
ताड़ पर या झाड़ पर
कहाँ अटके पड़े हो!
घर के अंदर अपने
कितने बल्ब जड़े हो?
तारों के आंगन में
आकर भटके हो?
सच में चाँद मियां तुम
सबसे हटके हो!