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चाँद में / दुःख पतंग / रंजना जायसवाल

आकाश में
अकेला चाँद और
मैं छत पर नीचे
आकाश के
न तारे
न दोस्त

निश्चिंत और खुश
फिर भी मैं

ऐसा क्या है
चाँद में?