आकाश में
अकेला चाँद और
मैं छत पर नीचे
आकाश के
न तारे
न दोस्त
निश्चिंत और खुश
फिर भी मैं
ऐसा क्या है
चाँद में?
आकाश में
अकेला चाँद और
मैं छत पर नीचे
आकाश के
न तारे
न दोस्त
निश्चिंत और खुश
फिर भी मैं
ऐसा क्या है
चाँद में?