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चांदनी में / महेन्द्र भटनागर

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नयी चांदनी में नहालो, नहालो !

नयन बंद कर आज सोये सितारे,
भगे जा रहे कुछ किनारे-किनारे,
खुले बंध मन के हमारे-तुम्हारे,

किरण-सेज पर प्रिय ! प्रणय-निशि मनालो !

झकोरे मिलन-गीत गाने लगे हैं,
मधुर-स्वर हृदय को हिलाने लगे हैं,
नये स्वप्न फिर आज छाने लगे हैं,

हँसो और संकोच-परदा हटालो !

जवानी लहर कर जगी मुसकरायी,
सिमटती बिखरती चली पास आयी,
बड़े मान-मनुहार भी साथ लायी

सुमुखि ! अब स्वयं को न बरबस सँभालो !

भ्रमर को किसी ने गले से लगाया,
सरस-गंध मय अंक में भर सुलाया,
बड़े प्यार से चूम झूले झुलाया,

लजीली ! मुझे भी न बन्दी बना लो !