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चांद थाळी मैं दिखासी आपनै / जनकराज पारीक

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चांद थाळी में दिखासी आपनै।
फैर पूरा निगळ जासी आपनै।

झूंपड़ी में जोत दिवलै री बुझा।
रीत मैलां री सिखासी आपनै।

वोट री सौगात आंने सूंपदयो।
सै'त सा सुपनां चटासी आपनै।

अेक बर संसद में पूगै तो सरी।
मुद्दतां तक याद आसी आपनै।