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चांद सोता है / महेन्द्र भटनागर
Kavita Kosh से
सितारों से सजी चादर बिछाए चांद सोता है !
बड़ा निश्चिन्त है तन से,
बड़ा निश्चिन्त है मन से,
बड़ा निश्चिन्त जीवन से,
किसी के प्यार का आँचल दबाए चांद सोता है !
नयी सब भावनाएँ हैं,
नयी सब कल्पनाएँ हैं,
नयी सब वासनाएँ हैं,
हृदय में स्वप्न की दुनिया बसाए चांद सोता है !
सुखद हर साँस है जिसकी,
मधुर हर आस है जिसकी,
सनातन प्यास है जिसकी,
विभा को वक्ष पर अपने लिटाए चांद सोता है !