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चांद - तारे / विष्णु नागर
Kavita Kosh से
मुझे चाँद चाहिए था
लेकिन मैं चाँद की तरफ बढ़ने लगा तो मुझे तारों ने मोह लिया
और मैं सोचने लगा एक चाँद के लिए इतने तारों को कोई
कैसे छोड़ दे
चाँद ने जब मेरा रुख भापा तो
एक तारा बन गया।