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चांद / अग्निशेखर
Kavita Kosh से
बादलों के पीछे
क़ैद है चांद
अंधेरे में डुबकी मार कर
आए हैं दिन
खुली खिड़कियाँ कर रही हैं
बादलों के हटने का इन्तज़ार
उमस में स्थगित हैं
लोगों के त्यौहार