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चांनणी रात / रेंवतदान चारण

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हंसै गिगन में चांदड़ल्यौ
कोई किरत्यां फेरा खाय,
लूरां लेती हिरण्यां नाचै
हियौ हिलोळा खाय।

रात रंगीली चांनणी जी मस्त पवन लहराय
हे धरती पूछ्यौ चांद नै, झिलमाझिल आधी रात
क्यूं परणी, बिलखै कांमणी जी कहदै मन री बात?
बोल्यौ चांद बिसरग्यौ ढोलौ, नैणां नींद न आय

हंसै गिगन में चांदड़ल्यौ, कोई किरत्यां फेरा खाय।
सरवरियै नै लहरां पूछ्यौ, क्यूं आई पिणियार?
पिणघट बोल्यौ भंवर मिलणनै आई भोळी नार
रोग लगायौ प्रीत रौ नै फिर-फिर झटका खाय
रात रंगीली चांनणी जी मस्त पवन लहराय।

गोरी ऊभी गोखड़ै नै गिण-गिण तारा रोय
जोड़ी मिळनै वीछडी जी प्रीत नै करजौ कोय
हे काजळ बोलयौ बावळौ क्यूं आंसूड़ा ढळकाय
लूरां लेती हिरण्यां नाचै, हियो हिलोळा खाय।
हंस गिगन में चांदड़ल्यौ
कोई किरत्यां फेरा खाय,
रात रंगीन चांनणी जी
मस्त पवन लहराय