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चाक गीत / 2 / राजस्थानी
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राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
उठो बहू... जी की राण्यां करो थे सिणगार हे।
बरज्या राजन न रेवे बीरो बाई नणदल को।।
उठो बहू... जी की राण्यां करो थे सिणगार हे।
बरज्या राजन न रेवे बीरो बाई नणदल को।।
उठो बहू... जी की राण्यां करो थे सिणगार हे।
बरज्या राजन न रेवे बीरा बई ज्ञानवती को।।
उठो बहू... जी की राण्यां करो थे सिणगार हे।
बरज्या राजन ने रेवे बीरो बाई शान्ति को।।
उठो बहू... जी की राण्यां करो थे सिणगार हे।
बरज्या राजन न रेवे बीरो बाई नणदल को।।