भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चार चींटियाँ / राम करन

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चार चीटियां घर बनाईं,
आठ चीटियां नगर बसाईं ।
बारह को जब खबर मिली तो,
सोलह दौड़ी-दौड़ी आईं।

बीस चीटियां दाना लाई ,
चौबीस मिलकर उसे पकाई।
अट्ठाइस ने खाना खाया,
खाना खाकर लीं जम्हाई।

बत्तीस लेकर चादर आई,
छत्तीस सबकी खाट बिछाई।
चालीस उस पर ठाठ से सोकर,
खर्राटे का सरगम गाई।