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चार चींटियाँ / राम करन
Kavita Kosh से
चार चीटियां घर बनाईं,
आठ चीटियां नगर बसाईं ।
बारह को जब खबर मिली तो,
सोलह दौड़ी-दौड़ी आईं।
बीस चीटियां दाना लाई ,
चौबीस मिलकर उसे पकाई।
अट्ठाइस ने खाना खाया,
खाना खाकर लीं जम्हाई।
बत्तीस लेकर चादर आई,
छत्तीस सबकी खाट बिछाई।
चालीस उस पर ठाठ से सोकर,
खर्राटे का सरगम गाई।