भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चिठ्ठी भेजने के लिए देर से शहर जाते हुए / राबर्ट ब्लाई

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सर्द और बर्फीली है आज की रात
वीरान पड़ा है मुख्य मार्ग
सिर्फ बहती हुई बर्फ ही कर रही है कुछ हरकत
डाक पेटी के दरवाजे को उठाते हुए छूता हूँ उसका ठंडा लोहा
एक प्यारी सी निजता है इस बर्फीली रात में
अभी और इधर-उधर घूमूंगा गाड़ी में
अभी और बर्बाद करूंगा अपना वक़्त

अनुवाद : मनोज पटेल