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चिड़ियाघर / राजा खुगशाल

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छुट्टी के दिन चिण्टू-चन्दर
गए घूमने चिड़ियाघर ।

शेर-बाघ, भालू-बन्दर
सब थे पिंजरों के अन्दर ।

चन्दू बोला, देखो साथी
ऊंँचे बाड़े में है हाथी ।

इस कोने से उस कोने
दौड़ रहे हैं मृग-छौने ।

लेटे हैं चितकबरे चीतल
जहाँ पेड़ की छाया शीतल ।

हमें देखकर मुर्गे- तीतर
चले गए दड़बों के भीतर ।

टिट्-टिट् करती जहाँ टिटहरी
फुदक रही है वहाँ गिलहरी ।

ये जंगल में रहनेवाले
शीत-ताप सब सहने वाले ।

कुछ शाकाहारी, कुछ परभक्षी
एक जगह हैं सब पशु-पक्षी ।

दिनभर घूमे चिण्टू-चन्दर
थके-थके से लौटे हैं घर ।