चिड़िया के चंचु से 
छूट जाता है तिनका
एक गीत गाती है 
उड़ती फिरती है 
शाम होते पक्षी जब घर को लौटते हैं 
देखती है 
और उम्मीद रखती है 
एक दिन उठा लेगी तिनका
बना लेगी घोंसला 
घर-संसार से अधिक
वो गीत के बारे में सोचती है
बनाती है जीवन-प्रेम का संगीत
चिड़ियों के बीच 
वो चिड़ियों जैसी 
नहीं रह पाती है ।