भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चिड़ियों का गाना / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ
Kavita Kosh से
छोटी और बड़ी सब चिड़ियाँ
डाल डाल पर डोल रही
'चींचीं' के स्वर में कुछ कहतीं
आपस में ही बोल रहीं
हुआ सवेरा लेकिन बहनों
इस घर में सब सोये हैं
बिस्तर में ही पड़े हुये हैं
सपनों में ही खोये हैं
हमने बहुत जगाया लेकिन
कोई भी आवाज नहीं
रोहित को पढ़ने जाना है
लेकिन अब तक जगा नहीं
फिर सबने मिलकर ज़ोरों से
अपना मीठा गीत सुनाया
सुनकर गाना रोहित बेटा
बिस्तर से झट उठकर आया