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चितराम : हे नागौरण : अेक / राजूराम बिजारणियां

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दिन बळै
आस पळै
ब’ण फोहा रूई रा
बादळ ढळै

पता हालै-चरचा चालै
आभै सामीं
चारूं कानीं
पड़ती छांट
जमती रेत
हळ बैंवता
बणग्या खेत

आस रा पग मोटा
डिग भरै-भरै कोठा

पण आस टूटै
सुख खूटै
सूखै खेत
बळता ओरण...!
चाली जद बैरण नागौरण।