चित्रकार वुल्फगंग वानहीस जानता है / विष्णुचन्द्र शर्मा
सूरज के साथ उगते हैं
कैनवास पर वॉन हीस के पवित्र रंग
चित्रकार वॉन हीस ने स्विट्जरलैंड में फांका किए थे
या इटली की कला दीर्घा में खोजा था
अपने लिए एक कमरा।
वह जानता है
‘सोलो’ गायिका रायता इफ्फलैंड
और चित्रकार के बीच
धूप में खिला आकाश
हरदम रहता है।
रंगों की पवित्रता की बात सूरज जानता है
बर्लिन में, या उसका अलमस्त चित्रकार।
कन्याकुमारी से गंगासागर तक घूम कर
भारत का सूर्य
बस बर्लिन के चित्रकार के कमरे में
आराम करता है।
और बताता है, ‘थोड़ी रोशनी बची है पेंटिंग में
थोड़ी चमक रही है
काष्ठ शिलप में
थोड़ी रायता इफ्फलैंड के
‘सोलो’ के स्वरों में घोल रही है
जर्मनी की आज़ादी का राग।’
ध्यान में बैठा है सूरज
ठीक चित्रकार के सामने!
अंधेरे से
जाग रहा है भारत
जर्मनी की पांचवीं मंज़िल में
रायता इफ्फलैंड याद है न
वुल्फगंग वॉन हीस की गैलरी से
उठ रहा अलसाया सूरज!