भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चिन्ह / सत्यपाल सहगल
Kavita Kosh से
एक दिन वे पूछेंगे मेरी गली, मेरे
शहर में रुकंगे मेरे स्वजनों के चिन्ह
खोजेंगे,मेरी डायरी की तलाश करेंगे
ढूँढेंगे मेरे मानचित्र,मेरे घर को
ब्यवस्थित करेंगे लाएँगे मेरी प्रामाणिक
तस्वीर,धूल उतारेंगे मेरे शब्दों पर से.
मेरे प्रांतर का पूरा नाम जान जायेंगे,उन
नदियों तक पहुँचेंगे जिसका पिया मैंने जल,करेंगे
उन पक्षियों की पहचान सुने जिनके गीत
पर क्या वे जायेंगे
क्या वे जाने की इच्छा रखेंगे
उन जगहों तक जहाँ रहते थे लोग
जिनसे किया मैंने प्रेम
क्या वे पूछेंगे कहाँ हैं उनके पौत्र।