भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चिरायु-चिर युवा अश्वत्थामा जै जिन्दा सै / रामफल चहल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अश्वत्थामा ने हम चिरायु (अमर) और कदे बूढा ना हो इसा मान्नै सै जब अश्वत्थामा ने द्रोणाचार्य का धोक्खे ते मारे जाण का बेरा पाट्या तो उसने बदला लेण खात्तर द्रोपदी के पांचों छोरे सूते मार दिए और इस बात की जाण पाट्टै पाच्छै अर्जुन जब अश्वत्थामा ने मारण लाग्या तो श्रीकृष्ण ने कह्या के ब्रह्मा का वरदान सै यो ना तो मर सकता अर ना कदे बूढा होगा। तू इसकै माथे की मणि काढ़ ले यो आप्पै सरमाता होया स्यहामी नहीं आवैगा।

जै अश्वत्थामा जिन्दा सै तो कितै बदहाल हुअया फिरता होगा
या किसै मन्त्री के पाछै लाग्या माला-माल हुअया फिरता होगा
द्रोपदी के छोरयां न मारकै वो तो बहोत घणा सरमाया था
धोखे तैं सूत्ते बालक मारे पाच्छै वो कोन्या साह्मी आया था
अमर रहण का आशीष ले कै वो बहोत घणा दुख पाया था
पर ईब तो वो टेम गया, कोन्या रही लोगां में उतनी हया
जै मनै अश्वत्थामा मिलग्या तो माथे प्लास्टिक सर्जरी करवा द्यूंगा
वोे द्वापर था यो कलयुग सै उसनै या बात दाहैंव समझा द्यूंगा
युग की गेल्यां कानून बदलगे उसने साफ-साफ दिखला द्यंूगा
कहूंगा इब तू भी किसै शहर में आ, बढ़िया सी एक कोठी ले बणा
हाम तनै इलैक्शन मैं ठावांगे, गिफ्ट मै एक कार भी दुवावांगे
क्यूं जंगल मैं बदहाल हुअया हाण्डै, आज तो हर पापी मालामाल हुअया हाण्डै सै
तू मेरी बात मान ले, रै बावले बख्त नै पिच्छाण ले
विपक्ष में के धरया सै कोई मोर्चा बणा की कुर्सी की शरण आण ले
पर के बेरा कोय ’चहल’ जिसा पहल्यां ए टकराग्या होगा
मोटा कमीशन खा कै यो नुस्खा तनै बताग्या होगा
मैं न्यूं ऐं शक में घिरता आऊं सूं अर हर पापी तैं आज भाज कै हाथ मिलाऊं सूं
के बेरा तू तीर तलवार न त्यागें माथे के घाव न छुपांदा घूमै सै
या बत्ती आली कार मैं गनमैंन लिए राजनशैं मैं झूमैं सै
के तो तू कृष्ण तैं बैर चुकावण खातर गायां का चारा चरता होगा
या किसै दलाल का काम करा कै ठाड्डा घर भरता होगा
जै अश्वथामा जिन्दा सै तो कितै बदहाल हुअया फिरता होगा
या किसै मन्त्री का पी.ए. लाग कै मालामाल हुअया फिरता होगा
तन्नै सुत्ते बालक मारे थे, था बाप मरण का दुख ज्यादा
पर ईब गर्भ म्हं कन्या न मार, दहेज बचा ठावैं फायदा
तेरा ब्रह्मास्त्र रोक श्रीकृष्ण नै पाण्डू वंश बचाया
पर इब कन्या नै कोण बचावै, कोन्या समझ म्हं आया
जै मुक्ति लेणा चाहवै सै, तो किसै शहर म्हं आज्या
जितने छोहरे मारे थे, उतनी छोहरियां नै आज बचाज्या
जै तू इब बी नहीं आया, तो यो जमाना तन्नै आपै टोहवैगा
बण तो सारे काट लिए कित अपनी शान लकोवैगा
कदे भगवान तै लड़ कै भाज्या था आज इन्सान मिलण नै तरसता होगा
जै अश्वत्थामा जिन्दा सै तो कितै बदहाल हुअया फिरता होगा
या किसैे मन्त्री के पाछै लाग्या माला-माल हुअया फिरता होगा
तनैे सुत्ते बालक मारे थे था बाप मरण का दुख ज्यादा
पर ईब गर्भ मैं कन्या न मार दहेज बचा ठावै फायदा
जै मुक्ति लेणा चाहवै सै तो किसै शहर म्हं आज्या
जितणे छोहरे मारे थे उतणी छोरियां न आज बचाज्या
जै तू इब्बी नहीं आया तो यो जमाना तन्नै आपै टोहवगा
बण तो सारे काट लिए कित अपणी शक्त लहकोवगाष्
कदै भगवान तै लड़कै भाज्या था आज इंसान मिलण न तरसता होगा
जै अश्वत्थामा जिन्दा सै तो कितै बदहाल हुअया फिरता होगा
या किसै मन्त्री के पाछै लाग्या माला-माल हुअया फिरता होगा