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चींटियां / लीलाधर मंडलोई
Kavita Kosh से
जैसे बनाती हैं सड़कें
पानी को पार करती हैं एकजुट
पहाड़ों पर चढ़ती हैं
युद्ध करती हैं अपनी सेना के साथ
अनाधिकार घुसने नहीं देती
किसी को अपने इलाकों में
कर सकती है चीटियां जैसा
कर सकते हैं हम भी
देखो अमरीका घुसा आ रहा है जबरन