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चीख़ते-बोलते बेहिचक, आदमी बेज़ुबाँ देखिए / रवीन्द्र प्रभात

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हर तरफ़ हादसा देखिए!
देश की दुर्दशा देखिए!!

क्षेत्रवादी करे टिप्पणियाँ
देश का रहनुमा देखिए!!

लक्ष्य को देख करके कठिन
काँपता नौजवाँ देखिए!!

भर दिए कैसेटों में ज़हर
ज़ुर्म की कहकशाँ देखिए!!

गा रहे गीत गूंगे सभी
संजीदा है हवा देखिए!!

वो कहने को बाँहों में हैं
फिर भी ये फ़ासला देखिए!!

चीख़ते-बोलते बेहिचक -
आदमी बेज़ुवाँ देखिए!!

बेच करके चमन चल दिया
बाग़ का पासबाँ देखिए!!

ज़ालिमों को करो अब रिहा
मुन्सिफ़ों के बयाँ देखिए!!

'प्रभात' गुमनाम है यूँ मगर
शायरी की जुबाँ देखिए!!