चीड़ के मग़रूर<ref>घमंडी</ref> पेड़
जिनकी आँखें
अपनी क़ामत<ref>लम्बाई</ref> के नशे में सिर्फ़ ऊपर देखती हैं
अपनी गर्दन के तनाव को कभी तो कम करें
और नीचे देखें
वो घने बादल जो उनके पाँव को छूकर गुज़र जाते हैं
जिनको चूम सकते हैं
वो पौदे
प्यार के इस वालिहाना<ref>प्रेमियों जैसा</ref> लम्स<ref>स्पर्श</ref> से कैसे निखर आए !
शब्दार्थ
<references/>