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चेतावनी / शिशुपाल सिंह यादव ‘मुकुंद’

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इधर शांति के गीत मुखर हो,उधर शत्रु पर वार दो
इधर मिलाओ हाथ सभी से,उधर कठोर कुठार दो
बाजू इधर सम्हालो अपना, उधर शत्रु की हार है
एक हाथ में शांति भार हो एक हाथ तलवार हो

परम अहिंसक रो इधर पर,उधर चित्त खूंखार हो
इधर प्यार हो हर प्राणी पर,उधर घोर ललकार हो
गौतम हो गांधी हो तुम सब,कायर नहीं न विद्रोही
एक हाथ में शांति भार हो एक हाथ तलवार हो

इधर मृदुल कृत्य अगर तुम,उधर कड़ा व्यवहार हो
इधर सुधरती गर कुछ बातें,उधर रो हुशियार हो
बहुत ठगाए अब न ठगाना,दुश्मन दावेदार है
एक हाथ में शांति भार हो एक हाथ तलवार हो

इधर धर्म निरपेक्ष राज्य तो, बर्तो उधर अंगार हो
इधर ह्रदय में देशप्रेम हो,उधर कडा झनकार हो
तुम्हे विदेशी तौल रहे हैं,हलके कि वजनदार हो
एक हाथ में शांति भार हो, एक हाथ तलवार हो

मानवता गर इधर मरी तो,तेज उधर हुंकार हो
पंचशील का यज्ञ इधर तो,उधर शस्त्र पर धार हो
कौन पाक-नापाक परखना,हर मौका यही पुकार हो
एक हाथ में शांति भार हो एक हाथ तलवार हो