भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चैती / राजकुमार

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कामदेव भेलोॅ छै अनंग होरामा, चैत महीनमाँ
शिव जी रोॅ देलोॅ ई उमंग हो रामा, चैत महीनमाँ

मोंजरैलोॅ अंगिया सें, हुलकै टिकोरबा
चम्पा चमेली बेली, गंध के हिंडोलबा
रति-मती पागल तुरंग हो रामा, चैत महीनमाँ

कुहू-कुहू कूहुक, कोयल कुंहकाबै
सेमल-पलास वन, अगिया लगाबै
महुआ चूबी के तंग-तंग हो रामा, चैत महीनमाँ

बरबा-पिपरबा-गुल्लड़-नीम, रसिया
सरस अशोक-कली, कइनें अड़दसिया
भ्रमर-भ्रमर पीबी भंग हो रामा, चैत महीनमाँ