मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
चैत मास पिया भेल जोगिया हो रामा
चैत मास पिया भेल जोगिया
जौं हम जनितौं पिया हएता जोगिया
बन्हितौंमे रेशमक डोरिया हो रामा
चैत मास पिया भेल जोगिया
रेशमक डोरिया टुटीय फाटि जयतइ
बान्हितौं मे अंचरा लगाय हो रामा
चैत मास पिया भेल जोगिया
जाहि बाटे जाइ एक रघुवंशी
तीर धनुष नेने हाथ हो रामा
चैत मास पिया भेल जोगिया
भनहि विद्यापति सुनू हे सहेली सभ
फेर घूमि अओताह राम हो रामा
चैत मास पिया भेल जोगिया