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चोर / लीलाधर मंडलोई
Kavita Kosh से
यह दुनिया छोड़ दी हमने
चोरों के भरोसे
क्योंकि चोरों को एक होने में
समय नहीं लगता
और ईमानदार कभी
एक नहीं होते