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चौमासो / राजस्थानी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

सावन लाग्यो भादवो जी
यो तो बरसन लाग्यो मेह, बनिसा
मोरीया रे झट चौमासो लाग्यो रे झट सियाळो लाग्यो रे
झट चौमासो लाग्यो रे झट सियाळो लाग्यो रे
 
म्हारी द्योराणियां जेठाणियां रूसगी रे
म्हारा सासूजी बनाबा ने जाए, बनिसा
मोरीया रे झट चौमासो लाग्यो रे झट सियाळो लाग्यो रे
झट चौमासो लाग्यो रे झट सियाळो लाग्यो रे

उगण लागी बाजरी रे म्हारी उगन लागी बाजरी रे
म्हारी उगण लागी जवार, बनिसा
मोरिया रे झट चौमासो लाग्यो रे झट सियाळो लाग्यो रे
झट चौमासो लाग्यो रे झट सियाळो लाग्यो रे

काटूं मैं काटूं बाजरी रे म्हारी काटूं मैं काटूं बाजरी रे
म्हारी काटूँ मैं काटूं जवार, बनिसा
मोरिया रे झट चौमासो लाग्यो रे झट सियाळो लाग्यो रे
झट चौमासो लाग्यो रे झट सियाळो लाग्यो रे

आळ्या में पड़गी बाजरी जी म्हारी आळ्या में पड़गी बाजरी जी
म्हारी कोठा में पड़गी जवार, बनिसा
मोरीया रे झट चौमासो लाग्यो रे झट सियाळो लाग्यो रे
झट चौमासो लाग्यो रे झट सियाळो लाग्यो रे

म्हारी द्योराणियां जेठाणियां रूसगी रे
म्हारा सासूजी मनाबा ने जाए, बनिसा
मोरिया रे झट चौमासो लाग्यो रे सियाळो लाग्यो रे
झट चौमासो लाग्यो रे सियाळो लाग्यो रे...
झट चौमासो लाग्यो रे सियाळो लाग्यो रे...