छप्प-छपक / रमेश तैलंग

नाव चली, नाव चली,
नाव चली पानी में
छप्प-छपक, छप्प-छप्पक
नाव चली पानी में।

डुब्ब-डुबक, डुब्ब-डुबक,
चप्पू चलने लगा
पानी में मछलियाँ का
झुंड उछलने लगा

एक मछली ऊपर आई
फिर गुम हो गई
शर्माती - शर्माती
अरे, कहाँ खो गई?

मछली वह सचचुम
सबसे प्यारी, सुंदर थी
पर उसकी दुनिया तो
पानी के अंदर थी।

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