छरहरी और गेहुँई लड़की / पाब्लो नेरूदा / अशोक पाण्डे
छरहरी और गेहुँई लड़की !
जो सूरज बनाता है फलों को, जो फुलाता है अनाज को,
जो लहरदार कर देता है समुद्री लताओं को
उसने भरा है तुम्हारी देह को आनन्द के साथ,
और तुम्हारी चमकदार आँखों को
और तुम्हारे मुँह को, जिसके पास पानी की मुस्कान है ।
जब तुम अपनी बाँहें फैलाती हो
तुम्हारी काली केशराशि के धागों में गुँथ जाता है इच्छाओं भरा एक काला सूरज ।
तुम सूरज के साथ वैसे ही खेलती हो जैसे वह एक नन्हीं धारा हो
और ऐसा करने के बाद दो सरोवर होते हैं तुम्हारी आँखों में ।
छरहरी और गेहुँई लड़की ! कुछ भी नहीं खींचता मुझे तुम्हारी तरफ़
सब कुछ मुझे और दूर ले जाता है मानो तुम कोई दोपहर हो ।
तुम हो मधुमक्खी का पगलाया यौवन
लहर का नशा, नन्हीं चिड़िया की ताक़त
मेरा गम्भीर दिल तब भी खोजता है तुम्हें
और मैं ख़ुशियों से भरी तुम्हारी देह को प्यार करता हूँ, तुम्हारी छरहरी और
बहती हुई आवाज़ ।
गहरे रंग की तितली मीठी और भरी हुई निश्चितता से
गेहूँ के खेत और सूरज जैसी, पॉपी के फूल और पानी जैसी ।
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अँग्रेज़ी से अनुवाद : अशोक पाण्डे