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छलके तेरी आँखों से / हसरत जयपुरी
Kavita Kosh से
छलके तेरी आँखों से शराब और ज़ियादा
खिलते रहें होंठों के गुलाब और ज़ियादा
क्या बात है जाने तेरी महफ़िल में सितमगर
धड़के है दिल-ए-ख़ाना-ख़राब और ज़ियादा
इस दिल में अभी और भी ज़ख़्मों की जगह है
अबरू की कटारी को दो आब और ज़ियादा
तू इश्क़ के तूफ़ान को बाँहों में जकड़ ले
अल्लाह करे ज़ोर-ए-शबाब और ज़ियादा
खिलते रहे होठों के गुलाब और ज़ियादा