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छोटा-सा घर होगा बादलों की छाँव में / शैलेन्द्र

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छोटा-सा घर होगा बादलों की छाँव में
आशा दीवानी मन में बँसुरी बजाए
हम ही हम चमकेंगे तारों के उस गाँव में
आँखों की रौशनी हरदम ये समझाए
चाँदी की कुर्सी पे बैठे मेरी छोटी बहना
सोने के सिंहासन पे बैठे मेरी प्यारी माँ
मेरा क्या मैं पड़ा रहूँगा अम्मीजी के पाँव में
आ आ आ अई रे, आ आ आ अई रे
आ आ आ अई रे, आ आ आ अई रे
छोटा-सा घर होगा बादलों की छाँव में
आशा दीवानी मन में बँसुरी बजाए

मेरी छोटी बहना नाज़ों की पाली शहज़ादी
जितनी-भी जल्दी हो मैं कर दूँगा उसकी शादी
अच्छा है ये बला हमारी जाए दूजे गाँव में
आ आ आ अई रे, आ आ आ अई रे
आ आ आ अई रे, आ आ आ अई रे
छोटा-सा घर होगा बादलों की छाँव में
आशा दीवानी मन में बँसुरी बजाए

कहेगी माँ, दुल्हन ला बेटा घर सूना-सूना है
मन में झूम कहूँगा मैं, माँ इतनी जल्दी क्या है
गली-गली में तेरे राजदुलारे की चर्चा है
आख़िर कोई तो आएगा इन नैनों के दाँव में
आ आ आ अई रे, आ आ आ अई रे
आ आ आ अई रे, आ आ आ अई रे
छोटा-सा घर होगा बादलों की छाँव में
आशा दीवानी मन में बँसुरी बजाए
हम ही हम चमकेंगे तारों के उस गाँव में
आँखों की रौशनी हरदम ये समझाए

(फ़िल्म - नौकरी 1954)