भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

छोटे-छोटे हाथ / केदारनाथ अग्रवाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

छोटे-छोटे हाथ
समय को नाप रहे हैं,
चलते-चलते पाँव बिछलते पथ को
चाँप रहे हैं,
कठिन क्रूर दुख-दानव का दल
सफल हुआ है

रचनाकाल: १७-०६-१९७६, मद्रास