भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जंगल में मोर नाचा किसी ने न देखा / शैलेन्द्र

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जंगल में मोर नाचा किसी ने न देखा
हम जो थोड़ी सी पी के ज़रा झूमें हाय रे सबने देखा
जंगल में मोर नाचा ...

गोरी की गोल-गोल अँखियाँ शराबी
कर चुकी हैं कैसे-कैसों की ख़राबी
इनका ये ज़ोर ज़ुल्म किसी ने ना देखा
हम जो थोड़ी सी ...

किसी को हरे-हरे नोट का नशा है
किसी को सूट बूट कोट का नशा है
यारों हमें तो नौ टाँक का नशा है