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जंगल में / श्रीप्रसाद
Kavita Kosh से
चिड़िया की नानी आई
मुरगे की मामी आई
नानी हँसती आई है
मामी आई गुस्साई
शेर, करो मत शैतानी
भालू जाकर डाँटेगा
हाथी आकर अभी-अभी
सबको बरफी बाँटेगा
बैठो, बैठो कोयल जी
कौवा हँसकर कहता है
तुम तो आती कभी नहीं
काम तुम्हें क्या रहता है
नाम पड़ा है फुदकन जी
इसे फुदकना आता है
यह खरगोश फुदक करके
बड़ी दूर तक जाता है
बाराती कुल बारह हैं
बन्दरिया की शादी है
ठाट देख लो बन्दर का
पहनी उसने खादी है
जंगल में सूरज आया
जंगल में चन्दा आया
तारों ने आकाश सभी
जंगल का है चमकाया
खाओ बच्चो, पेड़े तुम
या बरफी या खीरकदम
या बालूशाई बढ़िया
या खाओ जीभर चमचम
जंगल में है मौज बड़ी
सभी जीव खुश रहते हैं
खुशियों के सुन्दर झरने
यहाँ हमेशा बहते हैं।