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जकड़न / अनिता भारती
Kavita Kosh से
सबसे कठिन होता है
अपनों से लड़ना
एक बार मैंने कोशिश की
तुम्हारे सच के
दायरे के बाहर
अपना सच जानने की
और
तुमने मुझे जकड़ दिया
कांटो भरी बाड़ से
जिसके नुकीले किनारे
मुझे लहुलुहान करते रहे
अब जबकि मैंने तुमसे
जंग जीत ली है
फिर भी ना जाने क्यूं
उन बाड़ों से बने
जख्म अब भी
रह-रहकर
दर्द से टीस उठते हैं।