भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जगजन मोहन संकटहारी / काजी नज़रुल इस्लाम
Kavita Kosh से
जगजन मोहन संकटहारी
कृष्णमुरारी श्रीकृष्णमुरारी।
राम रचावत श्यामबिहारी
परम योगी प्रभू भवभय-हारी।।
गोपी-जन-रंजन ब्रज-भयहारी,
पुरुषोत्तम प्रभू गोलक-चारी।।
बंसी बजावत बन बन-चारी
त्रिभूवन-पालक भक्त-भिखारी,
राधाकान्त हरि शिखि-पाखाधारी
कमलापती जय गोपी मनहारी।।