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जगो जवानों / शिवदेव शर्मा 'पथिक'

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जगो जवानों! चलो बदल दे नक्शा हिंदुस्तान का!
मोल चुका दें आज शहीदों के पावन बलिदान का!

यह तो राम-कृष्ण की धरती बापू जी का गाँव है।
यहीं महाभारत है छाया,तलवारों की छाँव है।
 वीर भगत की धरती, जिसका हर बच्चा आजाद है खुदीराम की फाँसी, जिसकी अब भी ताजी याद है।
हम न अभी तक भूल सके हैं अपने वीर सुभाष को।
हमें बनाना होगा अपने भारत के इतिहास को।

स्वागत करना होगा हमको आँधी का, तूफान का।
जगो जवानो! चलो बदल दे नक्शा हिंदुस्तान का।

सीना ताने खड़ा हिमालय, सागर में
हूँकार है।
और हिंद का बच्चा-बच्चा शोला है तलवार है।
इंकलाब पर मर मिटने को हर बच्चा तैयार है।
मातृभूमि पर मर मिटने की गूंज रही ललकार है। चिल्लाओ मत! देश हमारा भूखा है, लाचार है।
हर हालत में भारत माँ का हर बच्चा सरदार है।

हमको बदला ले लेना है भारत के अपमान का।
जगो जवानो! चलो बदल दें नक्शा हिंदुस्तान का!

किसकी आँख हिमालय पर है? पगलों यह गिरिराज है।
महापूज्य शिव का घर है यह भारत का सिरताज है।
इसे घोंसला नहीं समझना, बच्चा-बच्चा बाज है।
कोटि-कोटि भारत वालों को जिस पर इतना नाज़ है।
उसी हिमालय पर ललचाया पगलों का अंदाज है।
लौटो चीन! लुटेरों लौटो! भारत की आवाज है।

जहरीला होता है गुस्सा भारत की संतान का।
जगो जवानों! चलो बदल दे नक्शा हिंदुस्तान का।

यह फूलों का देश, जहाँ के हर काँटे संगीन हैं।
खून शहीदों का पी- पीकर हर कलियाँ रंगीन है।
हाथ बढ़ा मत मूर्ख! झाड़ियों की भी बाँह विशाल है।
चालीस कोटि मनुज के मन में आजादी का ख्याल है। चालीस कोटि सिपाही, नेता वीर जवाहरलाल है। भारत की रग-रग में सोणित का बेजोड़ उबाल है।

व्यक्ति-व्यक्ति पक्का है इसका शान,गुमान ईमान का,
जगो जवानों!चलो बदल दें नक्शा हिंदुस्तान का।

यही बुद्ध का देश हिंद है जिसे शांति की चाह है।
ललकारो मत इसे, जानता लड़ने की भी राह है।
साम्यवाद चिल्लाने वाला, चीन बना गुमराह है।
मातृभूमि के लिए न हमको गर्दन की परवाह है।
सीने में गोलियाँ चुभी हों, होठों पर जय गान है।
बौने इसे नहीं छू सकते भारत देश महान है।

हमको आज बनाना होगा पथ अपने उत्थान का
जगो जवानों!चलो बदल दें नक्शा हिंदुस्तान का!

जगो जवानों! तुम्हें शपथ है भारत माँ के लाज की।
तुम्हें बचाने होगी इज्जत भारत के सिरताज की।
बढ़ा आ रहा चीन जवानों डटकर करना सामना।
आग उगलती बंदूकों को मजबूती से थामना।
महाप्रलय की राह रोक कर कहता हिंदुस्तान है।
रुको! हिमालय की चोटी पर जाग रहा भगवान है।

कहीं तीसरा नेत्र न सहसा खुल जाए भगवान का!
जगो जवानों! चलो बदल दें नक्शा हिंदुस्तान का!