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जड़ : छ / ओम पुरोहित ‘कागद’
Kavita Kosh से
आओ आपां
ऊंडा उतरां
सोधां आपणीं
जुगां जूनी जड़
सोध्यां तो
पकायत ई लाधसी
क्यूं कै आपां
जड़ बायरा तो
हा ई नीं कदैई।
बडेरा बतावै
रूंख भी
जूण है एक
चौरासी रै गेड़ री
स्यात नीं
पकायत ई
रूंख बडेरा है आपणां
रूंख री है तो
आपणीं भी है
पकायत ई जड़
सोध्यां लाधसी।