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जथारथ (2) / हरीश बी० शर्मा
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समै रो जथारथ तो
आ बात भी कैवै है
कै बेटो
कांई देय‘र
निहाल करै है
घाल‘र गळबाथ लुगाई रै
तीजै दिन न्यारौ हुय जावै
देवण नैं
डेणा नैं
धोबा देवै है।