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जनता के हौंसलों की सड़कों पर धार देख / बल्ली सिंह चीमा

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जनता के हौंसलों की सड़कों पर धार देख ।
सब-कुछ बदल रहा है चश्मा उतार देख ।

जलसे-जुलूस नाटक, हर शै पे बन्दिशें,
करते हैं और क्या-क्या भारत के ज़ार देख।

तू ने दमन किया तो हम और बढ़ गए,
पहले से आ गया है हम में निखार देख ।

हैं बेलचों, हथौड़ों के हौंसले बुलन्द,
ये देख दु्श्मनों को चढ़ता बुखार देख ।

तेरी निजी सेनाएँ रोकेंगी क्या इन्हें,
सौ मर गए तो आए लड़ने हज़ार देख ।

सच बोलना मना है गाँधी के देश में,
फिर भी करे हिमाक़त ये ख़ाकसार देख ।