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जनियो मत ऐसौ लाला / रामचरन गुप्त

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जननी जनियो तो जनियोऐसी पूत,
ए दानी हो या हो सूरमा।
पूत पातकी पतित पाप पै पाप प्रसारै
कुल की कोमल बेलि काटि पल-भर में डारै
कुल करै कलंकित काला
जनियो मत ऐसौ लाला।

जननी जनियो तो जनियो ऐसी पूत,
ए दानी हो या हो सूरमा ||
सुत हो संयमशील साहसी
अति विद्वान विवेकशील सत सरल सज्ञानी
रामचरन हो दिव्यदर्श दुखहंता ज्ञानी
रहै सत्य के साथ, करै रवि तुल्य उजाला
जनियो तू ऐसौ लाला।